जागो जनता जनार्दन




समाज आज एक छल तंत्र की ओर बढ़ रहा है
प्रजातंत्र खत्म हुआ।
अराजकता बढ़ रही, बुद्धिजीवी मौन है या चर्चारत
हे कृष्ण फिर से गीता सुनाओ कर्तव्य पथ पर हमें चलाओ
फिर से कई दुशासन कर रहे सामाजिकता का चीरहरण
फिर से मुकदर्शक बन बैठे हैं भीष्म पितामह
द्रोणाचार्य फिर कौरवों के खेमे में है
जागो जागो हे जनता जनार्दन की सामाजिकता का चीरहरण हुआ जाता है
नैतिक मूल्यों की दे रहे बलि जो वे धर्म का जयघोष लगाते हैं
हे कृष्ण आओ फिर से पांडवों के पक्ष में अर्जुन (जनता) के सारथी बन उन्हें धर्मयुद्ध हेतु प्रेरित करो जगाओ
हे अर्जुन अब तुम भी जागो
समय पुकारता, सत्य पथ पर खड़े हो जाओ,
साक्षी है, महाभारत कि जीत सदैव सत्य की हुई है।
सामाजिक सत्य आज का, सब भीरु से खड़े हैं शीश झुकाएं,
जागो जनता जनार्दन जागो कई अर्जुनो की ज़रूरत है इस महासंग्राम में।

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